हनुमान जी लंका से लौटते समय एक ऐसी चीज लेकर आए जो श्री राम जी को और हम सभी को भी खूब पसंद है, जानना चाहेंगे वह क्या है?
हनुमान जी समुद्र पार करके रावण की नगरी लंका पहुंचे। इन्हें पता चला कि रावण ने माता सीता को आशोक वाटिका में रखा हुआ है। आशोक वाटिका में पहुंचकर हनुमान जी सीता से मिले और यहां के फलों को देखकर इनके मुंह में पानी आ गया। माता सीता से आज्ञा लेकर हनुमान जी फलों को खाने लगे। लेकिन जब हनुमान जी ने आम खाया तो इसके अद्भुत स्वाद से तृप्त हो गये।
इनके मन में विचार आया कि यह अद्भुत फल भगवान राम को भेंट किया जाए। इसलिए लंका दहन करने के बाद जब वापस लौटने लगे तो तब एक बड़ी सी गठरी में आम को बांधकर अपने साथ ले आए। हनुमान जी ने लंका में किस तरह से माता सीता रहती हैं यह सब हाल बताया। इसके बाद प्रेम पूर्वक अपने साथ लाये हुए आम भगवान को भेंट किया।
श्रद्धा और प्रेम पूर्वक हनुमान जी द्वारा लाये गये फल को खाकर भगवान राम भी आनंदित हो गये। राम सहित लक्ष्मण जी ने भी आम के मीठे स्वाद का आनंद लिया और गुठलियों को फेंक दिया। इन गुठलियों से आम का पौधा जन्म लिया और समय के साथ देश के विभिन्न भागों में इसका विस्तार होता गया।
भगवान राम के जूठे गुठलियों से आम का पेड़
भारत में जन्मा है इसलिए आम को भगवान राम का प्रसाद भी माना जाता है।
माना जाता है कि जब आम के पेड़ पर फल लग जाता है तब इस पर हनुमान जी का निवास होता है। इसलिए बुरी शक्तियां आम के पेड़ के आस-पास से दूर रहती हैं।
जय जय सिता राम