श्री रामकृष्ण परमहंस कहते हैं –
मनुष्य जन्म लेते हैं, कुछ दिन जीवन व्यतीत करते हैं और मर जाते हैं, पशु और पेड पौधे भी कुछ समय बाद नष्ट हो जाते हैं।
जगत में जन्म लेने वाले समस्त जीवों को मृत्यु आती ही है, चाहे वह आपके प्रियजन, रिश्तेदार, शत्रु कोई भी हो, सबको जाना ही है।
आज तुम जिन्हें प्रेम पूर्वक ‘मेरे मेरे ‘ कहते हो, आंख बंद होते ही कोई तुम्हारा नही। जगत में कोई किसीका नही, फिर भी कितनी आसक्ति?
जिस क्षण यह अनुभूति होती है की जगत की संपूर्ण वस्तुएं, जीव एक दिन नष्ट हो जाती है इसि प्रकार जगत अनित्य और असत्य है तब मनुष्य संसार से, धन संपत्ति, रिश्ते नाते, देहसुख से प्रेम नही कर सकता। उसके बाद बडी सरलता से इन सबका त्याग कर मनुष्य वासनारहित हो सकता है।
इसी प्रकार संपूर्ण त्याग करने का सामर्थ्य आने पर परमात्मा के दर्शन प्राप्त होते हैं।
श्री राम जय राम जय जय राम