मानव शरीर प्राप्त करके भी जो नीचा काम करते हैं, वे बहुत बडी भूल करते हैं।
कोई बढिया चीज मिल जाय तो उसका लाभ लेना चाहिए। जैसे किसीको पारस मणि मिल जाय तो उससे लोहेको छुआनेसे लोहा सोना बन जाय। अगर ऐसे पारससे कोई बैठा चटनी पीसता है तो वह पारस चटनी पीसने के लिए थोडे ही है। कोई पारस से अपना सिर ही फोड ले तो पारस क्या करे?
इसी तरह मानव शरीर मिला, इससे पाप, अन्याय, दुराचार करके नरकोंकी प्राप्ति कर लेना अपना सिर फोडना है।
संसार के भोगोंमें लगाना – यह चटनी पीसना है।
-श्री रामसुखदासजी महाराज