श्री राम जय राम जय जय राम
जब कभी बालक चाक़ू या कोई नुकीली वस्तु उठा लेता है तो माँ उससे वह वस्तु छीन लेती है ।उसमे बालक की भलाई ही है परंतु वह समझता है के माँ ने अच्छा नहीं किया,माँ ने मुझसे यह वस्तु छीन ली ।वह माँ को कोसता रहता है।
यही संसारी मनुष्य श्री सतगुरु और श्री भगवान के साथ करता है।वह समझता है भगवान और गुरु ने मेरा यह काम नहीं किया।मेरा ये छीन लिया मेरा वो छीन लिया।परंतु वह अज्ञान में पड़ा रहकर यह नहीं समझता की इसमें कोई खतरा था या इसमें उसका भला नहीं था इसलिए भगवान और सतगुरु ने उससे वो वस्तु छीन ली।
हरिः शरणम्
श्री सीताराम श्री सीताराम श्री सीताराम