श्री कल्याण दास जी सन्त सेवी सदगृहस्थ थे । आप ब्राह्मण कुल मे उत्पन्न हुए थे और श्री राघवेन्द्र सरकार आपके इष्टदेव थे । एकबार आपके यहां कन्या का विवाह था । जाति बिरादरी के साथ साथ सन्तो को भी आपने आमंत्रित कर रखा था । जब भोजन का समय हुआ तो आपने संतो की पंगत पहले करा दी । इससे अन्य ब्राह्मण लोग बड़े असन्तुष्ट हुए और कहने लगे कि इन साधुओ की जाति-पाँति का कोई पता नही है, आपने इन्हे कैसे पहले खिला दिया ? इसपर आपने सबको समझाते हुए कहा कि संतों का “अच्युत” गोत्र होता है और ये समस्त विश्व का कल्याण करनेवाले होते है । सन्त धरा धामपर साक्षात् भगवान् श्री हरि के प्रतिनिधि होते है, अत: उनके पहले प्रसाद ग्रहण कर लेने से आप सब को असन्तुष्ट नही होना चाहिये ।
इस प्रकार की इनकी सन्त निष्ठा देखकर अन्य ब्राह्मण भी प्रसन्न एवं सन्तुष्ट हो गये । आपके यहा सन्त-सेवा चल रही है सुनकर और भी बहुत से आमंत्रित सन्त भी आ पहुंचे । यह देखकर बिरादरी के लोग कहने लगे-अभी आपके घराती और बराती बाकी ही है, अगर आप इन आमंत्रित सन्तो को भोजन करा देंगे तो उनके लिये क्या बचेगा ? इसपर आपने कहा-चिन्ता करने की बात नहीं है, संतो को खिलाने से कम नही पड़ता, सारी पूर्ति रामजी करेंगे । यह कहकर आपने सब संतो को भोजन करा दिया, फिर जब घरातियों-बारातियों को खिलाने की बात आयी तो आपने पंगत मे सब को बैठवा दिया और परोसने वालों से परोसने को कहा । प्रभुकृपा से सभी ने पूर्ण तृप्ति का अनुभव किया और भोजन मे किसी भी प्रकार की कमी नहीं आयी । रसोइया कहने लगे इतना भोजन तो हमने बनाया ही नही था, फिर भी समाप्त नही हुआ । सन्त-कृपा का ऐसा चमत्कार देखकर सब लोग धन्यधन्य कह उठे ।
श्री कल्याणदास जी संतो और वैष्णव स्वरूप में भी बड़ी श्रद्धा रखते थे ।एक बार की बात है , श्री कल्याण जी अपने भाई के साथ उत्सव-दर्शनार्थ श्रीधाम वृन्दावन को जा रहे थे । मार्ग में आपने देखा कि एक दुष्ट धनी सरावगी एक दिन वैष्णव को कुछ पैसों के लिए डांट-फटकार लगा रहा है , दुख दे रहा है ।यह देखकर आपको बहुत दुख हुआ । आपने न केवल उन वैष्णव महाभाग का सारा कर्जा उतारकर उस दुष्ट सरावगी से मुक्ति दिला दी, बल्कि उन्हें पर्याप्त धन- धान्य देकर सुखी भी कर दिया। ऐसे उदार मन थे श्री कल्याणदास जी ।
Aapke kamlwat charnan me ish daasanudaas saastaang koti koti dandwat pranaam hey mere Nath Mai aapko bhulu nahi aap ki Sri bhaktmaal ji ki pracchar seva se ham jaishe neech adhm jeev ka uddhar hoga Sri karunvatsal bgwan ke kamlwat charnan me preet badegai
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आपके चरणों मे प्रणाम वैष्णव भगवान
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