श्री सुरभ्यै नमः । श्री सीताराम । निताई गौर राधेश्याम हरे कृष्ण हरे राम ।
बिना भक्तमाल भक्तिरूप अति दूर है

श्री सुरभ्यै नमः । श्री सीताराम । निताई गौर राधेश्याम हरे कृष्ण हरे राम ।
Sri Devadas Pahadi Baba
Sri Ramharshan Das
Sri Sudama Das
Sri Gaurangi Sharan
Sri Deenhari Das
Sri Devram Ji (Ajab Sarkar)
Sri Albeli Sharan
Sri Tinkodi Goswami
Sri Chandrashekhar Das
Sri Kishor das ji
Sri Balram Devacharya
Srila Prangopal Goswami
Sri Hita Premanand
Sri Rampravesh Das
Sri Prankrishna Das
Sri Anant Das
Sri Ramchandra Dongre
Sri Jagdish Das
Sri Sharnanand Ji
Sri Raghavacharya Vedanti
Sri Raghavacharya
Sri Vasudevacharya
Sri Rajdendradas
Sri Vinodbihari Das
Sri Ramesh Baba
Sri Murari Das
Sri Hanumanprasad Poddar
Sri Ramanand Das Ji
Sri Jagannath Das
Sri Bhaktivinod Thakur
Sri Radharaman Charandas
Sri Bhaktisiddhant Saraswati
Sri AC Bhaktivedanta Prabhupada
Sri Narayan Goswami
Sri Purnanand Tirth (Udiya Baba)
Sri Ramdas Kathiababa
Sri Santdas Kathiababa
Sri Dhananjaydas Kathiababa
Sri Rambhadracharya
Sri Hardev Prasad Tonte (Naam Maharaj)
Sri Ravishankar Ji (Rawatpura Sarkar)
Sri Prembhikshu Ji
Sri Ramji Das (Karunanidhan)
Sri Dhirendra Krishna Ji
राम नाम सदा प्रेम्णा संस्मरामि जगद्गुरूम् ।
क्षणं न विस्मृतिं याति सत्यं सत्यं वचो मम ॥
(आदि पुराण)
श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है की मै सत्य सत्य कहता हूँ - मै सदा जगद्गुरु श्रीराम नाम का प्रेमपूर्वक स्मरण करता हूँ और क्षण मात्रा के लिए भी नहीं भूलता ।
जपतः सर्वमन्त्रांश्च सर्ववेदांश्च पार्वति ।
तस्मात् कोटिगुणं पुण्यं रामनाम्नैव लभ्यते ॥
(पद्मपुराण)
भगवन शिव कहते है की पार्वती - सभी मंत्रो का और सभी वेदों का जप करने से जो फल प्राप्त होता है, उससे करोड़ गुना फल केवल एक राम नाम के उच्चारण से प्राप्त हो जाता है ।
रामनामैव नामैव नामैव मम् जीवनम् ।
कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यथा ॥
(स्कंदपुराण)
महर्षि सनत्कुमार नारद जी से कहते है की केवल श्री राम नाम ही हमारा जीवन जीवन है । कलियुग में राम नाम के बिना और किसी उपाय से जीवो कि सद्गति नही हो सकती, नहीं हो सकती, नहीं हो सकती ।
रामेत्यक्षरयुग्मं हि सर्वं मंत्राधिकं द्विज ।
यदुच्चारणमात्रेण पापी याति पराङ्गतिम् ॥
(पद्मपुराण)
राम यह दो अक्षर वाला मंत्र सभी मंत्रो से अधिक श्रेष्ठ है, इसके उच्चारण मात्र से महापापी भी परम गति को प्राप्त कर लेता है।
विष्णोरेकैकनामापि सर्ववेदाधिकं मतम् ।
तादृङ्नामसहस्त्रेण रामनाम समं स्मृतम् ।।
(पद्मपुराण)
भगवान विष्णु का एक-एक नाम भी सम्पूर्ण वेदों से अधिक माहात्म्य शाली माना गया है। ऐसे एक सहस्र नाम के तुल्य राम नाम कहा गया है।
न देशकालनियमः शौचाशौचविनिर्णयः ।
परं संकीर्तनादेव राम रामेति मुच्यते ॥
राम नाम के जप मे न देश काल का नियम है, और न ही पवित्रता अपवित्रता का नियम है। किसी भी अवस्था मे राम नाम का संकीर्तन करने मात्र से जीव मुक्त हो जाता है।
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