श्री सुरभ्यै नमः । श्री सीताराम । निताई गौर राधेश्याम हरे कृष्ण हरे राम ।
श्री सुरभ्यै नमः । श्री सीताराम । निताई गौर राधेश्याम हरे कृष्ण हरे राम ।
।।श्री गौ माता की जय । समस्त भक्तो की जय । नित्य साकेत विहारिणी विहारिणौ विजयते ।।
श्री वृन्दावन के महान सिद्ध संत हमारे सबके परम प्रिय पूज्य श्री भक्तमाल भाष्यकार अनंत श्री संपन्न श्री गणेशदास भक्तमाली जी ,पूज्य श्री जगन्नाथ प्रसाद भक्तमाली जी एवं श्रीमन्नारायणदास (मामाजी) ने सम्पूर्ण जीवन भक्तमाल ग्रंथ का प्रचार प्रसार किया । इन महापुरुषों की यह इच्छा थी की भक्तमाल का प्रचार घर घर में हो, भारत में ही नहीं अपितु विदेशो में भी हो । इसी कार्य हेतु यह वेबसाइट श्री गणेशदास जी की कृपा से बनी है ।
भक्तमाल का परिचय : महाभागवत श्री नाभादास जी महाराज उच्च कोटि के संत हुए है जिन्होंने इस संसार में श्री भक्तमाल ग्रन्थ प्रकट किया । भगवान् के भक्तो के चरित्र इस ग्रन्थ में नाभाजी द्वारा स्मरण किये गए है । इस ग्रन्थ की यह विशेषता है की इसमें सभी संप्रदयाचार्यो एवं सभी सभी सम्प्रदायो के संतो का सामान भाव से श्रद्धापूर्वक संस्मरण श्री नाभा जी ने किया है ।
संत तो प्रियतम के भी प्रिय है , भगवान् अपने से अधिक भक्तो को आदर देते है । गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है – मोते संत अधिक कर लेखा । भगवान् से भी अधिक महिमा उनके भक्तो की है । गोस्वामी जी ने एक और पद में लिखा है –मोरें मन प्रभु अस बिस्वासा । राम ते अधिक राम कर दासा ।।
श्री नाभादास जी की सिद्ध वाणी के अनुसार :
भक्तदाम संग्रह करै कथन श्रवन अनुमोद। सो प्रभु प्यारौ पुत्र ज्यों बैठे हरि की गोद।।
जो व्यक्ति बिखरे हुए या भक्तमाल ग्रंथ के बाद हुए भक्तों के चरित्रों का संग्रह करता है, उनका कथन, श्रवण या अनुमोदन करता है (या किसी भी तरह भक्त चरित्रों का प्रचार करके दूसरों तक पहुंचाता है), तो वह भगवान् के प्रिय पुत्र जैसा भगवान की गोद मे बैठने का अधिकारी हो जाता है ।
श्री भक्तमाल के विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए लिंक पर जाए ।
For detailed information about Bhaktamal Click Here
We use cookies to analyze website traffic and optimize your website experience. By accepting our use of cookies, your data will be aggregated with all other user data.